महाकाव्य युद्ध: बाणासुर और भगवान श्रीकृष्ण

हिंदू पौराणिक कथाओं में, बाणासुर और भगवान कृष्ण के मध्य हुआ युद्ध एक रोमांचक और शिक्षाप्रद गाथा है। यह कथा विशेष रूप से भागवत पुराण (स्कंध 10, अध्याय 62-63), हरिवंश पुराण, और शिव पुराण में वर्णित है।

बाणासुर कौन था?

बाणासुर, असुरराजा महाबली का पुत्र था और भगवान शिव का परम भक्त। कठोर तप से उसने शिव से हज़ार भुजाओं और अपराजेयता का वरदान प्राप्त किया।

“बाणासुर ने महादेव की उपासना से महान शक्ति प्राप्त की और शोणितपुर पर अद्वितीय पराक्रम से राज्य किया।”
— शिव पुराण, रुद्र संहिता

उषा का स्वप्न: युद्ध की चिंगारी

बाणासुर की पुत्री उषा ने स्वप्न में अनिरुद्ध को देखा और प्रेम कर बैठी। उसकी सखी चित्रलेखा ने योगबल से अनिरुद्ध को लाकर उषा से मिलवाया।

अनिरुद्ध की कैद और श्रीकृष्ण का हस्तक्षेप

बाणासुर ने जब यह प्रेम प्रकरण जाना, तो उसने अनिरुद्ध को बंदी बना लिया। कृष्ण को जब यह सूचना मिली, तो उन्होंने युद्ध का निर्णय लिया।

“अपने पौत्र की अवैध कैद की सूचना पाकर यदुवंशी श्रीकृष्ण युद्ध की तैयारी करने लगे।”
— भागवत पुराण, 10.63.2

शोणितपुर युद्ध और देवों की टकराहट

कृष्ण, बलराम, प्रद्युम्न, और सात्यकि ने विशाल सेना संग शोणितपुर पर आक्रमण किया। बाणासुर ने शिव की सहायता ली।

भगवान शिव और भगवान कृष्ण के बीच सुदर्शन चक्र और त्रिशूल से युद्ध हुआ।

“जब शिव और कृष्ण आमने-सामने हुए — त्रिशूल और चक्र टकराए, तब समस्त ब्रह्मांड नतमस्तक हो गया।”
— हरिवंश पुराण, विष्णु पर्व

बाणासुर की पराजय और क्षमा

भगवान कृष्ण ने बाणासुर की 996 भुजाएं काट दीं और भगवान शिव के अनुरोध पर उसे जीवित छोड़ दिया। अनिरुद्ध और उषा का विवाह संपन्न हुआ।

“हे जनार्दन, बाणासुर मेरा भक्त है। कृपया उसकी जान बख्श दीजिए।”
— भागवत पुराण, 10.63.25

कथा का प्रतीकात्मक महत्व

  • भक्ति बनाम अहंकार: अहंकार भक्त को पतन की ओर ले जाता है।
  • दैवी संतुलन: शिव और कृष्ण का युद्ध धर्म के लिए था, द्वेष के लिए नहीं।
  • क्षमा की शक्ति: भगवान कृष्ण का क्षमा करना करुणा का श्रेष्ठ उदाहरण है।

शास्त्रों में उल्लेख

  • भागवत पुराण – स्कंध 10, अध्याय 62–63
  • हरिवंश पुराण – विष्णु पर्व
  • शिव पुराण – रुद्र संहिता

निष्कर्ष

यह कथा केवल युद्ध की नहीं, बल्कि भक्ति, शक्ति और करुणा के समन्वय की है। यह दर्शाती है कि चाहे अहंकार कितना भी बड़ा हो, धर्म और करुणा की शक्ति सदा विजयी होती है।

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