पूर्णिमा की रात्रि में वृंदावन के दिव्य वन में जब भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाई, तो गोपियाँ सभी बंधनों को छोड़कर उस मधुर स्वर के पीछे खिंची चली आईं। यह थी रासलीला—एक अलौकिक नृत्य जिसमें आत्मा और परमात्मा का मिलन होता है। भागवत पुराण पर आधारित यह लीला केवल प्रेम की कथा नहीं, बल्कि भक्ति का शिखर है, जहाँ प्रेम, ज्ञान और धर्म से भी ऊपर उठकर ईश्वर स्वयं अपने भक्तों के साथ नृत्य करते हैं।